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Shri Krishna 25 June Episode 54 : जब जरासंध ने ली मथुरा के नाश की प्रतिज्ञा, अक्रूरजी पहुंचे हस्तिनापुर

Shri Krishna 25 June Episode 54 : जब जरासंध ने ली मथुरा के नाश की प्रतिज्ञा, अक्रूरजी पहुंचे हस्तिनापुर गुरुवार, 25 जून 2020 (22:05 IST) निर्माता और निर्देशक रामानंद सागर के श्रीकृष्णा धारावाहिक के 25 जून के 54वें एपिसोड ( Shree Krishna Episode 54 ) के पिछले एपिसोड में श्रीकृष्‍ण द्वारा सांदीपनि ऋषि के पुत्र पुर्नदत्त को यमलोक से वापस लाने को बताते हैं और इस बार के एपिसोड में रामानंद सागर द्वारा कृष्ण की अब तक की यात्रा के बाद जरासंध के बारे में बताया जाता है। रामानंद सागर के श्री कृष्णा में जो कहानी नहीं मिलेगी वह स्पेशल पेज पर जाकर पढ़ें... वेबदुनिया श्री कृष्णा जरासंध को कंस के मारे जाने का समाचार तब मिला जब उनकी दोनों पुत्रियां विधवा होकर वापस मगध में पहुंचीं। इस सूचना से जरासंध एक घायल शेर की भांति बिफर गया। वह अपनी दोनों पुत्रियों को कहता है कि मैं कंस को तो वापस नहीं ला सकता परंतु मैं उसके हत्यारे को वहीं भेज दूंगा जहां कंस गया है। फिर वह अपने सेनापति को युद्ध का आदेश देता है और कहता है कि जिस दिन हमारी सारी सेना एकत्रित हो जाएगी हम मथुरा क

सुशांत सिंह राजपूत के बारे में 10 खास बातें...

सुशांत सिंह राजपूत के बारे में 10 खास बातें... रविवार, 14 जून 2020 (15:24 IST) 1. सुशांत सिंह राजपूत का जन्म पटना में 21 जनवरी 1986 को हुआ था। सुशांत की चार बहनें हैं। सुशांत के पिता एक सरकारी कर्मचारी थे और साल 2000 में पूरी फैमिली दिल्ली शिफ्ट हो गई। 2. सुशांत पढ़ाई में भी उतने ही प्रतिभावान थे, जितने एक्टिंग में। सुशांत ने ऑल इंडिया इंजीनियरिंग एंट्रेंस एक्जामिनेशन 2003 में 7वीं रैंक हासिल की थी। स्कूल के बाद उन्होंने दिल्ली के इंजीनियरिंग कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग भी की। 3. सुशांत मशहूर डांस ग्रुप शामक डावर के ग्रुप में डांस किया करते थे और उन्होंने 51वें फिल्मफेयर समारोह में बैक डांसर के रूप में भी काम किया था। 4. मुंबई आने के बाद सुशांत ने नादिरा बब्बर का थिएटर ग्रुप भी ज्वाइन किया साथ ही बैरी जॉन अकादमी से एक्टिंग की भी शिक्षा ली। 5. साल 2008 में 'बालाजी टेलीफिल्म्स' के एक प्ले के लिए सुशांत सिंह राजपुत ने ऑडिशन दिया और उन्हें सीरियल 'किस देश में है मेरा दिल' में 'प्रीत जुनेजा' का किरदार मिला

शिव भक्त सुशांत सिंह राजपूत महंगी चीजों के थे शौकीन, जानिए उनके पास कितना था पैसा

शिव भक्त सुशांत सिंह राजपूत महंगी चीजों के थे शौकीन, जानिए उनके पास कितना था पैसा रविवार, 14 जून 2020 (18:37 IST) सुशांत सिंह राजपूत का अचानक यूं चला जाना सभी को चौंका गया। वे एक अच्छे अभिनेता थे और फिल्म इंडस्ट्री में उनका संघर्ष जारी था। उनकी फिल्में अच्‍छी या बुरी हो सकती है, लेकिन उनके अभिनय के बारे में यह नहीं कहा जा सकता। छोटे से करियर में उन्होंने छाप छोड़ी थी।  दस फिल्मों में उन्होंने अभिनय किया था और एक फिल्म में मेहमान कलाकार के रूप में नजर आए थे। औसतन उन्होंने पांच से सात करोड़ रुपये प्रति फिल्म मिले। एक अनुमान के अनुसार उनके पास कुल 60 करोड़ रुपये के आसपास की संपत्ति थी।  शिव भक्त  सुशांत शिव भक्त थे। अक्सर उनके सोशल मीडिया पोस्ट से यह बात झलका करती थी। ऊं शब्द और उसकी ध्वनि के बारे में भी वे अक्सर बातें करते थे।  महंगा टेलीस्कोप  सुशांत को चांद, तारे, सूरज, ब्रह्माण्ड के बारे में बात करना पसंद था। वे इनके प्रति बहुत आकर्षित भी थे। सुशांत ने एक महंगा टेलीस्कोप Meade 14″ LX600 भी खरीदा था जिसके बारे में उन्होंने सोशल मीड

रामचरित मानस : कैकेयी निंदा की पात्र है या वंदना

रामचरित मानस : कैकेयी निंदा की पात्र है या वंदना की अयोध्या के राजा दशरथ की अति प्रिय रानी कैकेयी के द्वारा दो वरदान मांगना उसका अपना कोई चिंतन नही था लेकिन दासी मंथरा ने जब इन दो वरदानो के साथ भरत की भावी सुरक्षा का सवाल भिऩ्न भिन्न य़ुक्तियों के माध्यम से समझाया तो अपने हित अनहित का विचार किए बिना एक मां के हृदय ने कुटिल मंथरा की सलाह के अनुसार वे दो वरदान महाराजा दशरथ से मांग ही लिए जो अंततः रामायण की कथा के आधार बने। लेकिन इस सुरक्षा के चिंतन के कारण कैकेयी को अपने जीवन मे जो लांछना और अवमानना मिली उसके चलते उनका प्रारब्ध ही अभिशप्त हो गया। रामायण के नारी पात्र कैकेयी का स्मरण आम आदमी घृणा और तिरस्कार के साथ करता है। आज भी कोई अपनी पुत्री का नाम कैकेयी नहीं रखता और न ही रामायण के पारायण के दौरान कैकेयी के चरित्र पर किसी का ध्यान जाता है। मैथिलीशरण गुप्त ने साकेत  में कैकेयी के लांछन को दूर करने का प्रयास किया है। राम से इतना अधिक स्नेह करने वाली कैकेयी इतनी अधिक कठोर हो गई कि उन्हे वनवास दे डाला। पुत्र प्रेम के स्वार्थवश ऐसे दो वरदान माँग बैठी

ज्योतिष और स्वास्थ्य: चंद्रमा के अशुभ होने से होती है सर्दी, जुकाम और सांस की बीमारी

ज्योतिष और स्वास्थ्य: चंद्रमा के अशुभ होने से होती है सर्दी, जुकाम और सांस की बीमारी ज्योतिष का सेहत से गहरा नाता है. जब ग्रहों की दशा बदलती है तो उसका मनुष्य पर भी पड़ता है. ग्रह जब अशुभ होते हैं तो व्यक्ति को रोग भी प्रदान करते हैं. चंद्रमा के अशुभ होने से ये रोग होते हैं. By : Knowledge_4_success_ | 09 Jun 2020 04:25 PM (IST) Astrology And Health: कोरोना वायरस से फैली महामारी से पूरी दुनिया परेशान है. कोरोना वायरस ने भारत में भी कहर फैला रखा है. मौसम बदल रहा है. पंचांग के अुनसार ज्येष्ठ माह समाप्त हो चुका है और आषाढ़ आरंभ हो चुका है. ये वो समय होता है जब संक्रमित बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि इस समय मौसम में गर्मी भी होती है और नमी भी होती है जिस कारण वायरस और बैक्टीरिया जनित बीमारियों के होने की संभावना बनी रहती है. इसलिए इससे बचने की जरुरत है. ग्रहों का बीमारियों से संबंध इस समय सर्दी और जुकाम की दिक्कत लोगों को अधिक होता है. जब भी मौसम बदलता है तो ये ऐसी बीमारी है जो लोगों को सबसे जल्दी होती है. इस समय कोरोना का भी खतरा बना हुआ है ऐसे में सर्तकता बहुत जरुरी है. च

Chanakya Niti: भाग्य को न दें दोष, भाग्य भी उन्हीं का साथ देता है जिनमें होती है ये बात

Chanakya Niti: भाग्य को न दें दोष, भाग्य भी उन्हीं का साथ देता है जिनमें होती है ये बात Chanakya Niti In Hindi: चाणक्य नीति कहती है कि जो व्यक्ति असफलताओं के लिए अपने भाग्य को कोसता है वह कभी सफल नहीं हो पाता है. By : Knowledge_4_success_ | 09 Jun 2020 03:11 PM (IST) Chanakya Niti Hindi: चाणक्य के अनुसार व्यक्ति का जीवन दिन और रात के समान है. यहां दिन और रात का तात्पर्य सुख और दुख से है. यानि जिस प्रकार से रात के बाद दिन का होना सुनिश्चित है उसी प्रकार से दुख के बाद सुख के क्षण आना निश्चित हैं. आचार्य चाणक्य स्वयं में एक विद्वान थे और उन्होंने समाज को प्रभावित करने वाले सभी कारकों का गहराई से अध्ययन किया था. मनुष्य की सफलता में बाधक बनने वाले तत्वों का भी उन्होंने बारीकी से अध्ययन किया था. मनुष्यों के अध्ययन के आधार पर चाणक्य ने पाया कि सफलता उसी व्यक्ति को मिलती है जो असफलताओं से नहीं घबराता है. वहीं सफलता न मिलने पर जो भाग्य को दोष देते हैं उनका आत्मविश्वास कमजोर होता है. जिस कारण ऐसे लोग सफलता के स्वाद को चखने के लिए तरसते रहते हैं. इसलिए चाणक्य की इन बातों को हमेशा ध्यान में रख

महाभारत की ये तीन महिलाएं जिनके बगैर महाभारत की कथा अधूरी है

महाभारत की ये तीन महिलाएं जिनके बगैर महाभारत की कथा अधूरी है Mahabharat Yudh In Hindi: महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में भले ही पुरुषों ने लड़ा था, लेकिन महाभारत की कथा इन महिलाओं के बिना अधूरी है. आइए जानते हैं इन प्रमुख महिलाओं के बारे में.. By : knowlege_4_success | 09 Jun 2020 03:38 PM (IST) Mahabharata story: महाभारत के युद्ध के पीछे कोई एक वजह नहीं थी. इसके पीछे कई वजह थी. लेकिन इनमें महत्वाकांक्षा, पुत्रमोह और अपमान का बदला लेना प्रमुख था. सभी जानते हैं कि राजा धृतराष्ट्र अपने पुत्र दुर्योधन के मोह में इस कदर लिप्त हो गए कि वे उसे हस्तिनापुर का राजा बनाने के लिए उचित और अनुचित में भेद नहीं कर पाए. दुर्योधन महत्वाकांक्षा के सागर में इस कदर डूब गया कि उसे दूसरों के अधिकारों का हनन करने में आनंद आने लगा था. उसने मर्यादा को ताक पर रख दिया. भरे दरबार में चीर हरण जैसा कृत्य उसकी महत्वाकाक्षाओं की पराकाष्ठा का प्रर्दशित करता है. महाभारत के युद्ध में महिलाओं की भूमिका भी अहम रही. गांधारी गांधारी गांधारराज सुबल की पुत्री थी. भीष्म को जब ये बात पता चली कि गांधार देश की राजकुमारी सब लक्षणो